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CPR Full Form: सीपीआर क्या है और ये कब, कैसे किया जाता है?

CPR full form (सीपीआर का फुल फॉर्म) – आज के समय में युवा हो या चाहे बुजर्ग दोनो को किसी न किसी बीमारी का खतरा बना रहता है। बहुत सारे लोगों में heart attack आने का खतरा ज्यादा होता है। अक्सर लोग Heart attack से बेहोश हो जाते है जिनको फिर मेडिकल treatment की जरूरत पड़ती है। आपने अक्सर देखा होगा Herat attack के केस में डॉक्टर एक word का use करते है जिसे CPR कहते हैं। यह एक मेडिकल term है। आपने बहुत डॉक्टर को CPR process को करते देखा होगा।

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CPR को और इसके प्रोसेस को समझना एक आम आदमी के लिए भी काफी आवश्यक है क्योकि Heart attack का आना, किसी को पानी में डूबना, चोट लगना एक अचानक से होने वाली घटना है। अगर आप CPR को अच्छे से समझ जाते हैं तो यह आपको कभी भी और कहीं भी emergency की स्तिथि में काम आ सकती है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एक जरूरतमंद मेडिकल प्रोसेस CPR के बारे में बतांएगे। हम देखेंगे की CPR क्या है (What is CPR in Hindi), CPR का फुल फॉर्म क्या है (CPR full form), CPR कब और कैसे दिया जाता है?, इसके क्या side effect हो सकते हैं। आदि।

CPR Full Form – सीपीआर का फुल फॉर्म

CPR जिसका फुल फॉर्म Cardiopulmonary Resuscitation है यह तीन अंग्रेजी शब्द से बना word बहुत ही उपयोगी है। यदि हम इसके हिंदी अर्थ को समझने की कोशिश करे तो बहुत बड़ा अर्थ है।

CPR क्या है? – What Is CPR In Hindi

आसान शब्दों में कौन तो CPR एक प्रकार की प्राथमिक चिकित्सा यानी फर्स्ट एड होती है। जब किसी भी पीड़ित इंशान को सांस लेने में दिक्कत होता है या फिर वह सांस नहीं ले पा रहा होता है और बेहोश हो जाता है तो ऐसी स्तिथि में सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। अक्सर बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर और दम घुटने पर किसी भी पीड़ित को CPR के जरिये आराम पहुंचाया जा सकता है या उसकी जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक जिसे हिंदी में दिल का दौरा भी कहते हैं, पड़ने पर सबसे पहले और सही समय पर सीपीआर सही तरीके से दे दिया जाय तो मरीज की जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

CPR एक ऐसी Process है जो emergency के दौरान की जाती है जब patients बेहोश हो जाता है और cardiac arrest के तहत होता है। CPR Brain activity  को intact (कायम) बनाए रखने के लिए chest को compress और manual artificial ventilation का एक combination है।

यह उन रोगियों के लिए recommend किया जाता है जो improper breathing कर रहे है या ऐसे रोगी जो बिना responsable breath के कारण बेहोश हो गए हैं। Chest का दबाव कम से कम 5cm गहरा और 90 से 120 compression प्रति मिनट की दर से होना चाहिए। इसके साथ ही रोगी के मुंह में हवा भरकर मुंह से सांस देकर पुनर्जीवन (Resuscitation) भी दिया जाता है। रोगियों को मैकेनिकल वेंटिलेशन भी दिया जाता है जिसमें एक device का use किया जाएगा जो रोगी के lungs में हवा को push करता है।

CPR अकेले दिल को पुनर्जीवित (Resuscitation) करने के लिए जिम्मेदार नहीं होता है। इसका मुख्य उद्देश्य Heart और Brain में Partial Oxygenated Blood Flow को फिर से स्थापित करना होता है।

CPR कब करें?

आपको इसके बारे में जानने के साथ साथ यह भी मालूम होना चाहिए की इस process को कब और कैसे दिया जाता है। यह जानना कि आपको emergency situation में CPR करने की आवश्यकता है या नहीं यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन चाहे जो हो आपको घबराहट और डर में response नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। यदि आप इसके संकेत को जानते हैं और उस स्थिति को समझते हैं जिसमें किसी व्यक्ति को CPR की जरूरत होती है तो आप बहुत जल्दी यह कार्य कर सकते हैं।

1.सांस लेने में कठिनाई:

यदि रोगी या व्यक्ति किसी कारण से ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है तो आपको तुरंत CPR देना चाहिए। CPR शरीर में oxygenated blood के संचार में मदद करेगा। Oxygen और Blood Flow के बिना कोई व्यक्ति मात्र छह मिनट तक जीवित रह सकता है।  यदि इन छह मिनट में CPR शुरू नहीं हुआ तो उनका दिल धड़कना बंद कर देगा। CPR के साथ व्यक्ति या रोगी के Brain को कम नुकसान होगा और उसके बचने की संभावना अधिक होगी। 

2. दिल की धड़कन रुक जाना:

जब Heart Beat रुक जाती है जब आप रोगी की नब्ज महसूस नहीं कर पाते हैं तो आपको तुरंत CPR शुरू कर देना चाहिए। ये इसलिए होता है की Heart ने पंप करना बंद कर दिया है और व्यक्ति के शरीर को ठीक से oxygen नहीं मिल पा रही होती है। Chest को तेजी से दबाने के लिए अपने हाथ का उपयोग करें जिससे Heart और Brain में Blood circulation maintain रहे। 

3. सासों का फूलना:

cardiac arrest के दौरान मरीज कुछ देर के लिए ही ठीक से सांस ले पाता है। इसके बाद उनका सांस लेना मुश्किल हो जाता है और वे हांफने लगते हैं। इस स्थिति में situation को control में रखने और व्यक्ति को बचाने के लिए आपको तुरंत CPR शुरू कर देना चाहिए।

CPR की प्रक्रिया क्या होती है?

किसी भी चीज की प्रक्रिया को समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है, जिस मरीज पर CPR किया जाना होता है, उसे एक flat surface पर लेटने की स्थिति में रखा जाता है। CPR जो दे रहा होता है उसे यह पता होना चाहिए कि प्रक्रिया unflat surface पर नहीं की जाती है।

जो पुनर्जीवन (resuscitation) कर रहा है उसे यह देखने की आवश्यकता है कि रोगी के airway को खोलने के लिए रोगी के सिर को पीछे झुकाकर airway clear है या नहीं यह पता लगाना जरूरी है। सांस लेने की जांच करें यदि व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है और 10 सेकेंड से ज्यादा समय तक सांस लेने की आवाज नहीं सुनाई देती है तो CPR शुरू कर देना चाहिए।।

एक बार जब CPR Process आगे बढ़ जाती है तो फॉलो करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण नियम है जोर से धक्का देना और तेजी से धक्का देना। हाथों को छाती के बीच में एक के ऊपर एक रखा जाता है। शरीर के वजन को हाथों पर ठीक से distribute किया जाता है और फिर compression (दबाव) कम से कम 2 इंच की गहराई से शुरू किया जाता है और प्रति मिनट कम से कम 100 compression दिए जाते हैं।

मुंह से मुंह के बीच rescue breath भी दी जाती है, इस दौरान रोगी के सिर थोड़ा पीछे झुका हुआ होता है और ठुड्डी को ऊपर उठा लिया जाता है और नाक को सिकोड़ लिया जाता है और रोगी के मुंह को बचाने वाले के मुंह से ठीक से ढक दिया जाता है। रोगी के सीने को ऊपर उठाने के लिए रोगी के मुंह में हवा भरी जाती है। वैकल्पिक रूप से दो rescue breath compression (संपीड़न) के बाद दिए जाते हैं और इसे repeat किया जाता है।

CPR से होने वाले नुकसान या side effect:

CPR देना उचित है लेकिन इसको कितनी मात्रा में देना है ये सभी को पता होना चाहिए। कभी कभी CPR के बारे में काम ज्ञान रखने वालो से धोखा हो जाता है अर्थात उनको CPR का तरीका और मात्रा नही पता होती। जिनके कारण कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकता है।

इस प्रोसेस के दौरान 80% मामले सीरियस नहीं होते हैं। अगर CPR proper तरीके से नहीं किया जाता है तो बचे 10% को मामूली चोट लगती है। रोगी को breast bone या टूटी हुई पसली या फेफड़ों की चोट के नुकसान का उच्च जोखिम होता है। दिल में चोट लगने पर मरीज को internal bleeding भी हो सकता है। अन्य मामूली side effect में उल्टी भी आ सकती है। जिसे साफ करने की जरूरत होती है ताकि रोगी इसे निगल न ले।

More Important Full Forms:

Conclusion

यह एक ऐसी साधारण प्रोसेस है जो की आम इंसान भी इस प्रोसेस को कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति बेहोश है और आप देखते हैं कि वो व्यक्ति कोई response नहीं दे रहा है तो आपको उनकी स्थिति को स्थिर करने के लिए तेजी से Pressure के साथ CPR देना चाहिए।

यदि आप तुरंत ऐसे प्रोसेस नहीं करते हैं तो हो सकता है कि वे अपनी सांस पर नियंत्रण खोने लगें। और उसको emergency के लिए लेके जाना पड़े। आप उस व्यक्ति पर CPR तब तक कर सकते हैं जब तक कि डॉक्टर न आ जाए और उसे पुनर्जीवित करने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग न करे।

यदि आपके सामने कोई ऐसी कंडीशन आ जाए तो आप यह प्रोसेस को अच्छी तरह जानते हुए अप्लाई कर सकते हैं। आशा करते हैं कि आपको यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा और आपने इस आर्टिकल से काफी कुछ सीखा होगा।

इस लेख में मैंने आपको CPR की सारी महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोसिस किया है जैसे CPR kya haiCPR ka full form (CPR full form in Hindi), CPR से अभिप्राय?CPR कब और कैसे किया जाता है आदि

अंत में मैं आप से यही कहना चाहूँगा की अगर आपको CPR full form, what is CPR in Hindi वाली यह लेख पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया पे शेयर जरुर करें। अगर आप कुछ कहना या पूछना चाहते हैं तो निचे कमेंट कर सकते हैं।

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