Essay Mahatma Gandhi in Hindi: जैसा कि हमारे देश में ऐसे बहुत से वीर योद्धा भगत सिंह, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जैसे बहुत से महान धर्मवीर थे जिन्होंने हमारे देश के लिए बहुत से बलिदान दिए और हमारे देश को स्वतंत्र भारत बनाया। उसमे से एक महानात्माओ में हमारे महात्मा गांधी जी भी आते है, जिनको राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। इनका अपने राष्ट्र के हित में बहुत बड़ा योगदान रहा जिन्हे हम चाह के कभी भूल नहीं सकते।
गांधी जी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और आजाद भारत के पिता, विश्व के एक अद्वितीय और प्रेरणास्पद व्यक्तित्व के धारक थे। उन्होंने अपने अद्वितीय सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ले जाया और भारतीय समाज को एक सशक्त और समृद्धि शील समाज की दिशा में मार्गदर्शन किया। उनका जीवन और कार्य एक महान उदाहरण हैं, और इस निबंध में, हम महात्मा गांधी के जीवन और उनके महत्वपूर्ण योगदान को विस्तार से जानेंगे।
क्षात्रो को स्कूल में हमेशा टास्क दिया जाता है “महात्मा गाँधी पर निबंध लिखें (Write an Essay on Mahatma Gandhi)” ऐसे में कई बच्चो को Essay लिखने में प्रॉब्लम होती है। इसी प्रॉब्लम का समाधान इस लेख में दी जा रही है। यहाँ पर महात्मा गाँधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi) लिखी जा रही है।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
जीवन परिचय महात्मा गांधी-
Mahatma Gandhi जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी (MohanDas Karamchand Gandhi) गांधी है जिन्हें शोर्ट में महात्मा गांधी कहा जाता है। M K Gandhi का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात (Gujarat) के पोरबंदर (Porbandar) में हुआ था। 2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन दुनिया भर में अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह एक अच्छे परिवार से आते थे और उनके पिता राजकोट के शाही दरबार से जुड़े हुए थे। वह पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे लेकिन उन्होंने अपने चरित्र का बहुत ख्याल रखा और अपने चरित्र पर आंच नहीं आने दी।
उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी (Karamchand Uttamchand Gandhi) पोरबंदर के मुख्यमंत्री (दीवान) थे। हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास गांधीजी के चार पुत्र थे। महात्मा गांधी British शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेताओं में से एक थे। Gandhiji ने दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित किया। गांधीजी जिनकी गोद में पले और बड़े हुए उनकी माता का नाम पुतलीबाई (Putlibai) था।
महात्मा गांधी की शिक्षा-
महात्मा गांधी एक भारतीय वकील, सक्रिय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे। वह सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने दुनिया को यह साबित कर दिया कि कैसे शांतिपूर्ण तरीकों को लागू करके बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ी और जीती जा सकती है। 14 साल की उम्र में उन्होंने कस्तूरबा गांधी (Kasturba Gandhi) से शादी की। बाद में वे कानून की पढ़ाई के लिए England चले गए। इंग्लैंड में गांधीजी को शाकाहारी भोजन प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई हुई। तमाम कठिनाई को झेलते हुए उन्होंने अपनी जीविका को संभाला।
महात्मा गांधी ने England में अपनी कानून की पढ़ाई समाप्त किया और 1891 में बैरिस्टर के रूप में भारत लौट आए। उन्होंने राजकोट (Rajkot) और बॉम्बे(Bombay) में अभ्यास शुरू किया लेकिन असफल रहे। माना जाता है की वह शर्मीले मिजाज के युवक थे।
गांधी जी 1893 में एक मुकदमे के सिलसिले में South Africa गए। वहां वह भारतीयों और अन्य अश्वेत लोगों की दयनीय स्थिति थी। उन्हें वहा रंग भेद देखने को मिला तब उन्होंने ठान लिया की लोगो के बीच इस रंगभेद को खत्म करके सबको एक बराबर दर्जा दिया जाए जिसे करने में ये सफल भी रहे।
उन्होंने वहां फीनिक्स आश्रम की स्थापना की और 1986 में नटाल इंडियन कांग्रेस का गठन किया। उन्होंने रंगभेद की गोरी अफ्रीकी नीति का पुरजोर विरोध किया और सत्याग्रह के अभ्यास का उन्हें पहला अनुभव था।
महात्मा गांधी का सहयोग-
गांधीजी ने सत्याग्रह (Satyagrah) का प्रयोग पहली बार South Africa मे सितंबर साल 1906 में ट्रांसवाल (Transwal) में इंडियन के खिलाफ जारी एशियन ऑर्डिनेंस के विरोध में किया था। गांधीजी का पहला कारावास इसी मूवमेंट के जरिए साल 1908 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग (Johannesburg) में हुआ था।
साल 1899 में बोअर युद्ध (Bowar Battle) के दौरान गांधीजी ने अंग्रेजों के लिए भारतीय एम्बुलेंस का आयोजन किया। उन्हे बेइज्जत किया गया और दक्षिण अफ्रीका में पीटर मैरिट्स बर्ग (Peter Mauritius) रेलवे स्टेशन से बाहर कर दिया गया। उन्होंने साल 1910 में दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टॉय (Tolstoy) फार्म और डरबन (Durban) में फीनिक्स सेटलमेंट की शुरुआत की। महान रसियन दार्शनिक और लेखक लियो टॉल्स्टॉय (Leo Tolstoy) द्वारा महात्मा गांधी सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा और निष्क्रिय प्रतिरोध जैसे उनके विचारों से बहुत प्रभावित थे।
उस समय भारतीय राजनीति पर गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक का काफी प्रभाव था। महात्मा गांधी दोनों से प्रभावित थे, हालांकि वास्तव में उन्होंने अपनी विचारधारा और रणनीति विकसित की थी। फिर भी उनके असली गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे। और महात्मा की उपाधि इनके ही द्वारा दी गई थी। गांधी जी भारतीय महाकाव्यों, रामायण और महाभारत से बहुत प्रभावित थे और गीता पढ़ना पसंद करते थे जिसके इंग्लिश ट्रांसलेट ने वास्तव में उनके जीवन को बदल दिया था।
महात्मा गांधी के सुधार-
एक पॉलिटीशियन होने के अलावा गांधीजी ने जातिवाद, अनटचैबिलिटी, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, बालविवाह, पर्दा प्रथा और सार्वजनिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक समाज सुधारक के रूप में कई काम किए। वे जीवन भर हिंदू मुस्लिम को एक करते रहे, लेकिन आजादी मिलने के बाद जब धर्म के नाम पर भारत के बंटवारे की बात शुरू हुई तो वे इस एकता को बरकरार नहीं रख सके और उन्हें बहुत दुख हुआ।
वे नहीं चाहते थे कि विभाजन हो लेकिन परिस्थितियाँ ऐसी बनीं कि विभाजन को रोका नहीं जा सका। Pakistan बनने के बाद भी गांधीजी Pakistan की आर्थिक मदद करना चाहते थे। गांधी जी की इस नीति का कट्टरपंथी हिन्दू संगठनों ने विरोध किया।
महात्मा गांधी ने अपने आत्मनिर्भर प्रिनिसिपल के तहत खादी और चरखा को इनकरेज किया। साथ ही शॉर्ट एवं झोपड़ी उद्योगों तथा अन्य गांव की इंडस्ट्री को आगे तक ले जाने पर जोर दिया।
इन आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया –
चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha):
गांधीजी ने 1917 में चम्पारण में नील (indigo) की खेती करने वाले फार्मर्स के अधिकारों के लिए लड़ते हुए British शासन के खिलाफ पहला आंदोलन शुरू किया जिसे चंपारण सत्याग्रह का नाम दिया गया। यह एक पावरफुल हथियार के रूप में सत्याग्रह ( Satyagraha) के उपयोग की शुरुआत थी जो आने वाले वर्षों में अपनी चमत्कारी शक्ति को प्रदर्शित करने वाला था। इस movement के दौरान ही वल्लभभाई पटेल(Vallabh Bhai Patel) जो आंदोलन में सबसे आगे थे, उन्हें गांधीजी द्वारा *सरदार* की उपाधि मिली।
रोलेट एक्ट(Rowlatt Act):
महात्मा गांधी ने जलियांवालाबाग (Jallianwala Bagh) नरसंहार साल 1919 के विरोध में अपनी उपाधि कैसर-ए-हिंद (Keshar e hind) का परित्याग कर दिया। गांधीजी का पहला नेशनल आंदोलन 1919 में रोलेट एक्ट के खिलाफ शुरू किया गया था। उन्होंने 1st अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन (Non Cooperation Movement) शुरू किया जिसके कारण UP के चौरी चौरा (Chauri Chaura) में हिंसक घटना हुई। इस घटना ने 1922 में आंदोलन को स्थगित करने के लिए गांधीजी को प्रेरित किया।
दांडी मार्च (Dandi March):
महात्मा गांधी द्वारा स्टार्ट किए गए सबसे महवतपूर्ण आंदोलनों में से एक प्रचलित दांडी मार्च था जो भारतीयों को समुद्री जल से नमक(Salt) बनाने का अधिकार दिलाने के लिए 12 मार्च 1930 को शुरू किया गया था। Gandhiji और उनके साथियों द्वारा Gujarat समुद्र तट के पास Dandi में नमक बनाकर Salt Law का विरोध करने पर 5 मई 1930 को उनकी गिरफ्तारी हुई।
गांधी इरविन समझौता(Gandhi Irwin Pact):
विख्यात दांडी मार्च महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन का मूल था और जब 5 मार्च 1931 को “Gandhi Irwin Pact” के नाम से एक समझौते पर सिग्नेचर किए गए थे, कहा जाता है कि गांधीजी शरारत से नमक की एक चुटकी बाहर लाए थे। पैकेट को उसकी चाय में मिलाने के लिए कहा, “यह दांडी से है”।
भारत छोड़ो आंदोलन(Quit India Movement):
गांधी जी ने 1940 में पर्सनल Satyagraha शुरू किया और उसके लिए Vinoba Bhave और Nehru को चुना। उन्होंने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन भी शुरू किया और “करो या मरो” (Do or Die) का नारा दिया।
लगभग सभी Congress नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और jail में डाल दिया गया। लेबर और कर्मचारियों ने फैक्ट्रीज और ऑफिसेज में काम बंद कर दिया और स्टूडेंट्स ने स्कूलों और कॉलेजों में भाग लेने से खुद को अनुपस्थित कर लिया। इसके रिजल्ट में हालांकि गांधीजी द्वारा कभी नहीं चाहा या इरादा नहीं किया गया था, आर्मी में विद्रोह के संकेत थे और यदि पहले गदर पार्टी (Gadar Party) और भगत सिंह(Bhagat Singh) और अन्य लोगों की शहादत होती तो अब सुभाष चंद्र बोस(Subhash Chandra Bose) और अन्य लोगों के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय सेना,एक वास्तविकता बन गया।
30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस (Birla House) में नाथूराम विनायक गोडसे (Nathuram Godse) द्वारा गांधीजी की हत्या कर दी गई थी। लगभग शाम 5:17 बजे उनका निधन हो गया। उनका आखिरी शब्द था “हे राम, हे राम”। नाथूराम गोडसे ने गांधीजी पर गोली चलाने के लिए एक इतालवी बेरिटा पिस्तौल का इस्तेमाल किया।
Essay On Mahatma Gandhi In 200, 500 Words
महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत और अद्भुत महापुरुष थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा, सत्याग्रह, और सर्वोदय के मूल्यों को अपनाया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गांधी जी ने दंड-मुक्ति, नमक सत्याग्रह, चारका, और भाषा आंदोलन जैसे अनेक महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने अपने सत्य के लिए अनगिनत बार जेल जाने का साहस दिखाया और अपने प्रेरणास्पद भाषणों से लाखों लोगों को आत्मा समर्पण की ओर प्रेरित किया।
महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई, परंतु उनका आदर्श और योगदान हमें आज भी प्रेरित करता है। उनके आलोचनात्मक दृष्टिकोण, समर्पण भावना, और साहसपूर्ण कदम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी एक अद्वितीय भारतीय होने के साथ-साथ एक विश्व नेता भी थे, जिनका संदेश सदैव जीवित रहेगा और उनके आलोचनात्मक दृष्टिकोण का अभिवादन करता है।
महात्मा गांधी ने अपने जीवन में सादगी और आत्मनिर्भरता के महत्व को प्रमोट किया। उन्होंने खादी पहनने और चरका चलाने के माध्यम से भारतीय बन्धुओं को आत्मनिर्भर बनाने का संदेश दिया। इससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भी एक समाजवादी और स्वावलंबी दिशा में अग्रसर किया।
उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के महत्व को भी बताया और सभी धर्मों के समान समर्थन दिया। उन्होंने अधिकार, समानता, और न्याय की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय समाज में सामाजिक सुधार के लिए लड़ा।
गांधी जी का विचारशील और मानवीय दृष्टिकोण आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। उनके आलोचनात्मक दृष्टिकोण ने हमें विश्वास दिलाया कि सत्य और अहिंसा हमें आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
इस प्रकार, महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ले जाकर देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनका आदर्श हमारे लिए आज भी प्रेरणा स्रोत है।
Conclusion (निष्कर्ष)
हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि गांधीजी केवल एक राजनीतिक नेता नहीं थे। उनका नजरिया सबके लिए समान था और उनके विचार जीवन के सभी क्षेत्रों में फैले थे। वे जितने आध्यात्मिक और धार्मिक द्रष्टा और समाज सुधारक थे उतने ही राजनीतिक नेता भी थे। यहां तक कि शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, नैतिकता, राष्ट्रवाद, अंतर्राष्ट्रीयता, युवाओं, बच्चों और महिलाओं के कल्याण आदि जैसे मामलों पर उनके विचारों को आसानी से नकारा नहीं किया जा सकता है।
गांधीजी के महान सपनों में से एक ग्राम स्वराज की स्थापना थी। महात्मा गांधी ने 30 अप्रैल 1936 को सेवाग्राम आश्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि अहिंसा एक रूप नहीं है, यह प्रत्यक्ष कार्रवाई का एकमात्र रूप है।
आशा करते है की यह लेख के माध्यम से प्रदान की गई जानकारी आपके लिए काफी उपयोगी होगी। और आप अपने लाइफ में गांधी के चरित्र को अच्छे से घोलेंगे।