दुनिया में हजारो भाषाएँ बोली-समझी जाती है और भाषा हम मनुष्यों के जीवन में कितना अहम् भूमिका निभाता है ये और अछे से तभी समझ सकते हैं जब आपको भाषा के बारे में पूरी जानकारी हो।
दुनिया में जितने भी लोग हैं सभी कोई न कोई भाषा बोलते ही हैं पर ध्यान देने वाली बात यह है की इतने लोगो में से बहुत कम ही लोगो को ये मालूम होता है की आखिर ये भाषा क्या है? भाषा की परिभाषा और इसके भेद क्या-क्या हैं? भाषा में लिपि क्या है, व्याकरण (Grammar) क्या है आदि।
जब एक बच्चा पैदा होता है तो उसे न बोलने आता है और न हमारी बातो को समझ पाता है पर धीरे धीरे बचा बड़ा होता है तो हमारी ही बातो को सुनते सुनते वो शब्दों को बोलना सिखने लगता है और शब्दों का मतलब भी उसे समझ आने लगता है। और बस इसी तरह निरंतर सुनते सुनते वो बचा हमारी ही तरह बोलने लगता है तथा बातो को समझने लगता है।
अर्थात वह बच्चा उस भाषा को शिख जाता है जो भाषा वो बार बार सुनता है पर साथियों यहाँ पे जानते हैं मजेदार बात क्या है? मजेदार और आश्चर्य करने वाली बात ये है की वो बच्चा बोलने तो शिख जाता है पर उसे ये मालूम नहीं होता होता है की भाषा क्या है या भाषा की परिभाषा क्या है।
बिलकुल यही प्रक्रिया हम सभी के साथ भी होता है हम सब बोलने, लिखने और बातो को समझते तो हैं पर व्याकरण और व्याकरण में भाषा के बारे में जानकारी नहीं होती है। इसलिए आइये आज इस लेख में हम जानते हैं की व्याकरण क्या है, भाषा (Language) क्या है या भाषा की परिभाषा क्या है, भाषा के प्रकार या भेद, लिपि, बोली आदि क्या है।
भाषा (Language) क्या है : भाषा की परिभाषा
साधारण सब्दो में भाषा एक साधन है जिसके जरिये हम अपनी भावों, अपनी बातो को दुसरो के सामने प्रकट करते हैं लिखकर या फिर बोलकर। या इसे ऐसे भी कह सकते हैं- भाषा एक ऐसा साधन है जिसके जरिये हम अपनी बातो को दुसरो के सामने बोलके या लिखकर पहुचाते हैं तथा दुसरो की बातो को जान लेते हैं।
साथियों जिस प्रकार यदि हमे कहीं आना जाना रहता है तो हम यातायात साधनों जैसे बस, ट्रेन, बाइक आदि का उपयोग करते हैं ठीक वैसे ही हमे अपनी बातो को दुसरो तक पहुचाने के लिए एक साधन का उपयोग करना पड़ता है और यही साधन भाषा कहलाता है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है जिसना शाब्दिक अर्थ है विचार प्रकट करना और इसी से भाषा की परिभाषा भी बन जाता है इस प्रकार- भाषा वो साधन है जिससे मनुष्य अपनी विचारो को प्रकट करता है।
आइये एक उदाहरन पे विचार करते हैं- मान लीजिये एक भारी वास्तु है जिसे हमे मुम्बई से गोवा लेना जाना तो इसे हम कैसे ले जायेंगे? जाहिर सी बात है हम वाहनों का उपयोग करेंगे ठीक वैसे ही मान लीजिये दो लोग हैं जिनके मन में कुछ बाते हैं और वो एक दुसरे तक अपनी बातो को पहुचाना चाहते हैं।
तो वो अपनी बातो को सामने वाले को कैसे कहेंगे? साथियों यहीं पे वो दोनों भाषा नाम के एक साधन का उपयोग करेंगे लिखने या फिर बोलने के रूप में। आप निचे दिए गये इमेज को देख कर समझें-
अतः अंत में हम भाषा को इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं- वह चीज़ जिसके उपयोग से हम अपनी मन की बातो या भावों को लिखित या कथित रूप से दुसरो को समझा सके या फिर दुसरो की बातो, भावों को समझ सके उसे ही भाषा कहते हैं।
लेकिन मानव जीवन के सुरुवाती दौर में आज के जैसा बिलकुल भी नहीं था, पहले के लोग यानि आदिमानव अपनी बातो को सामने वाले से संकेतो के जरिये कहते थे और संकेतो के जरिये ही समझते थे क्योकि उस समय न ही शब्दों का विकाश हुवा था न ही भाषा का।
पर संकेतो में बातो को समझा पाना बड़ा ही मुस्किल काम था और कभी कभी तो संकेतो से बातो को समझा पाना या कह पाना बिलकुल ही नामुमकिन हो जाता है इसलिए धीरे धीरे वे लोग शब्दों को जोड़ना, बनाना, वस्तुवों का नाम देना सुरु किया और फिर ऐसे ही धीरे धीरे शब्दों के निर्माण के मेल भाषा का निर्माण हुवा।
व्याकरण क्या है?
अब आप सोच रहें होंगे की भाषा के बारे में बताते बताते मैं व्याकरण के बारे में क्यों बताने लगा। देखिये, भाषा और व्याकरण में मूल सम्बन्ध है। सबसे पहले व्याकरण क्या है समझिये- किसी भी भाषा को सुध सुध लिखने और बोलने की विद्या को हम हिंदी में व्याकरण और इंग्लिश में ग्रामर (Grammar) कहते हैं।
अर्थात् जिस विद्या से हम ये शिख जाये की किसी भी भाषा को सुध सुध लिखना, पढना या फिर बोलना कैसे है उसे ही व्याकरण कहते हैं।
व्याकरण में भी बहुत सारी चीजें होता है जैसे संज्ञा, सर्वनाम, काल, वर्ण विचार, शब्द विचार आदि। पर इस पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण का सबसे पहला अध्याय पढ़ रहे जिसमे स्वयं भाषा के बारे में विस्तार से समझ रहे हैं।
ऐसा इसलिए क्योकि जब तक हमे खुद भाषा के बारे में यानि व्याकरण पढना किसके लिए है पता नहीं हो तो फिर व्याकरण में आने वाली और भी चीजों के बारे में पढने-समझने में मुस्किल होगा। मुझे उम्मीद है की अब आपको भाषा और व्याकरण में क्या सम्बन्ध है अछे से समझ आ गया है। तो चलिए आप भाषा के प्रकार, बोली, लिपि और भाषा की विशेषताएं आदि भी जानते हैं।
भाषा के प्रकार (Types Of Language In Hindi)
ये जरुरी नहीं होता की विचार का आदान प्रदान केवल बोलकर किया जाता है। उदाहरण के लिए जब हमे किसी वस्तु को एक जगह से दुसरे जगह लेके जाना होता है तो हमारे आप साधनों के कई ऑप्शन होते हैं जैसे हम बस, ट्रक, ट्रेन, जहाज आदि किसी भी साधन का उपयोग कर सकते हैं।
ठीक उसी प्रकार विचारो का आदान प्रदान करने के लिए हमारे पास तीन ऑप्शन होते हैं। अतः इस तरह हम कह सकते हैं की भाषा के तीन प्रकार या रूप होते हैं। भाषा के तीनो रूप इस प्रकार हैं-
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
1. मौखिक भाषा –
जब व्यक्ति विचारो का आदान प्रदान बोल कर करते हैं तब वह भाषा मौखिक भाषा कहलाती है। अर्थात् जब व्यक्ति अपने भावों, अपने विचारो को सामने वाले के सामने बोलकर प्रकट करना है और सामने वाला सुनकर उसे ग्रहण करता है तब यह भासा मौखिक भाषा कालाती है।
उदाहरन के तौर पर शिक्षक कक्षा में बचो को पढ़ाते हैं, क्षात्र अपने शिक्षक से सवाल पूछता है, हम अपने दोस्तों के साथ गपशप करते हैं आदि मौखिक भाषा का उदाहरन हैं।
कभी कभी हमारे स्कूल में मौखिक परीक्षा भी होती है जिसमे हमे लिखकर नहीं बल्कि बोलकर परीक्षा देना होता है। इसमे शिक्षक हमसे सवाल करते हैं और हमे उसका सवाब देना होता है बोलकर।
लिखित भाषा –
जब व्यक्ति विचारो का आदान प्रदान लिखकर करते हैं तब वह भाषा लिखित भाषा कहलाती है। अर्थात् जब व्यक्ति अपने विचारो, अपनी भावों को सामने वाले को लिखकर प्रकट करता है और सामने वाला उसे पढ़कर ग्रहण करता है तब वह भाषा लिखित भाषा कहलाती है।
उदाहरन के तौर पर शिक्षक कक्षा में बोर्ड पे कुछ लिखते हैं, बच्चे अपनी कॉपी में लिखते हैं, कॉलेज परिसर के बाहर नोटिस बोर्ड पे लिखा हुवा हुवा नोटिस, पत्र-पत्रिकाएँ, समाचार पत्र, किताबें आदि लिखित भाषा के उदाहरन हैं।
आप अभी ये लेख पढ़ रहे हैं जिसमे मैं लिखकर आपको भाषा के बारे में बताया हूँ और आप मेरे लिखे हुवे विचारो, जवाब को पढ़कर ग्रहण कर रहे हैं। यह भी एक लिखित भासा का बढियां उदाहरन है।
सांकेतिक भाषा–
जब व्यक्ति अपनी विचारो का आदान प्रदान संकेतो या इशारो के जरिये करता है तब वह भासा सांकेतिक भाषा कहलाती है।
उदाहरन के लिए क्रिकेट में अम्पायर सांकेतिक भाषा के जरिये ही कोई भी डिसीजन बता देता है, प्लेयर आउट है, नो बॉल, छक्का, रन आउट आदि सब कुछ संकेतो में ही बताता है न की बोलकर।
सड़क चौराहे पे खड़ा यातायात पुलिस को आपने सांकेतिक भासा या इशारो से काम करते देखा होगा। यातायात पुलिस हाथो के इशारों से एक लाइन से आ रही गाडियों को रुकने का इशारा करते हैं था दुसरे लाइन में चलने वाले गाडियों को इशारों से ही अनुमति देते हैं। ये भी सांकेतिक भाषा का अच्छा उदाहरन है।
बोली क्या है?
बोली भाषा का वह रूप है जो केवल सिमित क्षेत्रो में ही बोली जाती है। यह विकशित भाषा नही होता है और न ही ज्यादा दूर दूर तक के क्षेत्रो में बोला जाता है। बोली को ऐसे भी परिभाषित किया जा सकता है- भाषा का क्षेत्रीय रूप बोली कहलाता है।
मनुष्य जिस भी क्षेत्र में रहता है उस क्षेत्र का एक बोली होता है यानि वहां पे बोलने का तरीका अलग होता है।
आप भी अपने क्षेत्र पे गौर कर सकते हैं आप पाएंगे की जिस तरह से जिस शैली में आप और आपके क्षेत्र के लोग बोलते हैं बिलकुल वही बोली अलग क्षेत्र के लोग नहीं बोलते होंगे, उनका बोली थोडा अलग या कभी कभी तो बिलकुल ही अलग हो जाता है।
बोली और भाषा में अंतर होता है, बोली भाषा की ही छोटी इकाई होती है। भाषा का सम्बन्ध राज्य, देश, या बड़े क्षेत्र से होता है जबसे बोली का सम्बन्ध बस छोटे ग्राम, मंडल, या क्षेत्र से होता है।
लिपि क्या है?
किसी भी भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता है वे लिपि कहलाते हैं। या लिपि को ऐसे भी परिभाषित किया जा सकता है- भाषा को लिखने के लिए उपयोग की जाने वाली चिन्हों का व्यवस्थित रूप लिपि कहलाता है।
बोलने के लिए तो हमे लिपि की जरूरत नहीं पड़ती पर जो कुछ भी हम लिखते हैं वो किसी विशेष लिपि के मदद से लिखी जाती है। प्रत्येक भाषा की अपनी अपनी लिपि होती है जिसके जरिये उस भाषा में कुछ भी लिखा जाता है।
उदाहरन के लिए आप अभी हिंदी व्याकरण में भासा के बारे में यह लेख पढ़ रहे हैं जो की हिंदी भाषा में लिखी हुई है और हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी होता है। इसी तरह से अलग अलग भाषा का अलग लिपि होता है, आइये कुछ प्रमुख भाषाएँ और उनकी लिपि के बारे में जानते हैं-
भाषा | लिपि |
---|---|
हिंदी, संस्कारी, मराठी | देवनागरी |
पंजाबी | गुरुमुखी |
इंग्लिश | रोमन |
उर्दू | फारसी |
बंगला | बंगला |
रुसी | रुसी |
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Conclusion
तो दोस्तों इस पोस्ट में आपने भाषा के बारे में सबकुछ विस्तार से पढ़ा भाषा हिंदी ग्रामर (व्याकरण) क्या है, भाषा (Bhasha) क्या है, भाषा के प्रकार, लिपि, बोली, आदि क्या होते हैं। चाहे आप किसी भी कक्षा के क्यों न हो कमसे कम भाषा के बारे में इतनी जाकारी तो आपको होनी ही चाहिए इसलिए मैंने इस पोस्ट में भाषा के बारे में आशान शब्दों में बताने का प्रयाश किया है।
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